रविवार, 25 सितंबर 2011

!! बहुत मुखोटे हैं !!



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बहुत मुखोटे हैं !
मशवरे बड़े हैं,
प्रवचन बड़े हैं,
कुएं के मेढक-
कुएं में पड़े हैं !
भाषण है भीषण,
ख्यालात छोटे है !!
बहुत मुखोटे हैं !
'मैं ' पर जोर है,
बाकी सब 'बोर' है ,
दीपक तले-
अन्धेरा घनघोर है !
ज्ञान बांटते दुनिया को-
घर में पर टोटे हैं !
बहुत मुखोटे हैं !
'सूरत ' के कायल है,
दिल से घायल है,
चेहरे पे मुस्कान बड़ी-
पर उसमें भी छल है !
असल की शक्ल में-
सिक्के खोटे हैं !
बहुत मुखोटे हैं ! 
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