गुरुवार, 26 जनवरी 2012

!! गणतंत्र !!

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साठ वर्षों से ज्यादा उम्र वाले 'गणतंत्र' में आज भी 'रोटी-कपड़ा-मकान' की बात चिंताजनक और थोड़ी हास्यास्पद लग सकती है,लेकिन वास्तविकता यही है !
लग-भाग १२० करोड़ की आबादी में से मुट्ठी भर,तथाकथित 'गणमान्य' लोग आज 'संपन्न' है,और देश के 'तंत्र' पर कब्ज़ा किये हुए हैं,जबकि एक बड़ा तबका आज भी गाँवों से लेकर शहरों तक 'घर' तो छोडिये,तन ढकने लायक ज़रूरी कपड़ों,और दो वक़्त के भरपेट भोजन से भी वंचित है !इस हकीक़त को देखने के लिए ''शाईनिंग इंडिया'' की खुमारी में से बाहर आना पडेगा !
आज हमारे 'गणतंत्र' में 'गण' 'गौण' हो गया है,और 'तंत्र' 'राजशाही' की तरह व्यवहार कर रहा है ! 'भ्रष्टाचार' इस 'तंत्र' का चरित्र और स्थायी पहचान बन गया है !भारत के अभागे-वंचित 'गण' को मूलभुत आवश्कताओं से भी महरूम रखा जा रहा है,और सारी महत्वपूर्ण नीतियाँ उस संपन्न वर्ग के लिए बनायी जा रही है,जिसकी 'अय्याशी' का कहीं कोई अंत ही नहीं है !
स्थितियां जब तक ऐसी रहेगी,ये गणतंत्र रोटी-कपड़ा-मकान में ही फंसा रहेगा.और रहना भी चाहिए, क्योंकि जीवन के लिए आवश्यक न्यूनतम, बुनियादी आवश्यकताओं से वंचित 'गण' के लिए आखिर 'गणतंत्र' के क्या मायने ????!!!! 
'गणतंत्र' एक राष्ट्रीय पर्व है,और इस पर्व पर 'निराशाजनक' बातें उचित नहीं जान पड़ती,किन्तु इस दिल का क्या कीजे,जो 'मुखौटों' से नहीं बहलता !
बहरहाल,इस 'गणतंत्र दिवस' पर सभी दोस्तों को शुभकामनाएं,इस विश्वास के साथ,कि आने वाले समय में हमारा 'गणतंत्र' सार्थक रूप में एक सच्चा 'गणतंत्र' बनेगा,जहां 'तंत्र' सही रूप में 'गण' से जुड़ेगा.
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