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'पर' खोले है अभी तो,मेरी उड़ान बाकी है !
नापने को धरती और आसमान बाकी है !!
हारा हुआ मुझको ना समझ लेना ए दोस्तों,
होसलों में मेरी अभी तलक जान बाकी है !!
वो 'मुफलिस' खा रहा भूखों संग मिल-बाँट कर,
पगला-अजूबा है,उसमें अभी 'इंसान' बाकी है !
मुझ पर है क़र्ज़ जिनका,वो सो जाए चैन से,
है गर्दिश में सितारे मेरे मगर,ईमान बाकी है !
तुम ना दोगे पनाह तो कोई बात नहीं 'अशोक'-
दुनिया में और भी बहुत से मेहरबान बाकी है !
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नापने को धरती और आसमान बाकी है !!
हारा हुआ मुझको ना समझ लेना ए दोस्तों,
होसलों में मेरी अभी तलक जान बाकी है !!
वो 'मुफलिस' खा रहा भूखों संग मिल-बाँट कर,
पगला-अजूबा है,उसमें अभी 'इंसान' बाकी है !
मुझ पर है क़र्ज़ जिनका,वो सो जाए चैन से,
है गर्दिश में सितारे मेरे मगर,ईमान बाकी है !
तुम ना दोगे पनाह तो कोई बात नहीं 'अशोक'-
दुनिया में और भी बहुत से मेहरबान बाकी है !
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सच्चाई से कही गयी बात अच्छी लगी ......
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